बुधवार, जनवरी 21, 2009
जयपुर हुआ गुलज़ार II
जयपुर प्रवास के दूसरे दिन गुलज़ार साब सुनने वाले काव्य रसिकों से रूबरू हुए एक अनूठे आयोजन में.. श्री पवन के वर्मा के साथ काव्य - जुगलबन्दी प्रस्तुत करते हुए. मौका था जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल का एक सत्र, जहां गुलज़ार साब और श्री वर्मा ने गुलज़ार साब की नज़्मों और त्रिवेणियों को, मिलकर हिन्दोस्तानी और अंग्रेज़ी मे प्रस्तुत कर सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर दिया. सुनने के लिये खचाखच भरे हाल के अन्दर जितने श्रोता थे, उससे ज्यादा बाहर मज़बूरन टी.वी स्क्रीन्स पे मौज़ूद थे..
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2 टिप्पणियां:
शुक्रिया फिर से!
दूर ही सही, पर ये पढ़ कर उनके करीब होने का अहसास होता है
मैं उन चंद बदनसीबों में से रही जो गुलजार साहब के जयपुर में होने के बावजूद उन्हें सुन नीं सकी, इसका दुख रहेगा
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